लॉक डाउन : चमोली में कृषि, मनरेगा और उद्योग को मिली छूट, जिले में इधर-उधर फंसे लोग भी अब जा पायेंगे घर - पहाड़ रफ्तार

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए जिले में 22 मार्च से चल रहे लाॅकडाउन के करीब चार हप्ते बाद पहली बार जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने कृषि, उद्योग समेत कुछ निश्चित क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों हेतु थोडी बहुत रियायत दे दी है। लाॅकडाउन के चलते जिले में इधर-उधर फंसे आम लोगों को भी अब अपने घर जाने की अनुमति दी जाएगी। जरूरी कार्यालयों को खोलने के लिए मुख्यालय स्तर पर अपर जिलाधिकारी तथा ब्लाक स्तर पर एसडीएम को अधिकृत किया गया है। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने मंगलवार को जिले के सभी एसडीएम के साथ वीडियो काॅन्फ्रेसिंग की। उन्होंने निर्देश दिए कि एनएच, बीआरओ, बिजली उत्पादन से जुड़ी कंपनियों एवं उद्योगों को छोड़कर लोनिवि, पीएमजीएसवाई की सड़कों के निर्माण कार्यो, खनन, मनरेगा एवं अन्य छोटे निर्माण कार्यो हेतु सभी एसडीएम अपने स्तर से अनुमति जारी करें। कहा कि एनएच, बीआरओ की सड़को, बिजली उत्पादन में लगी कंपनियों एवं उद्योगों को मुख्यालय स्तर से अनुमति दी जाएगी। मनरेगा कार्यों के लिए श्रमिकों निर्धारित गाइड लाईन के अनुसार छूट दी जाए। निर्माण कार्यों के लिए सीमेंट, सरिया, बजरी जैसी सामग्री लाने के लिए एक बार ही अनुमति दी जाए। गांव, कस्बों में छोटे मोटे निर्माण कार्यों के लिए भी तहसील स्तर से ही अनुमति जारी करें। उन्होंने सभी एसडीएम निर्देश दिए कि निर्माण कार्यो के लिए जो भी अनुमति दी जा रही है उसकी रेन्डमली जाॅच भी करें। क्षेत्र में मेडिकल टीम को जहाॅ पर भी किसी प्रकार से असुरक्षा  महसूस होती है वहाॅ पर उनको सुरक्षा भी दी जाए। जिलाधिकारी ने कहा कि किसानों को कृषि तथा इससे संबधित बागवानी, मछली पालन, पशुपालन, वृक्षारोपण इत्यादि कार्यों के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता नही है। किसानों को ना रोका जाए। सीमांत क्षेत्र के परिवारों को भी अपने पैतृक गांवों में जाने की पूरी छूट दी गई है।
जिलाधिकारी ने सभी एसडीएम को निर्देश दिए कि जिले में लाॅकडाउन के चलते जो लोग इधर-उधर फंसे है उनको प्राथमिकता पर अपने घर गांव जाने की अनुमति दी जाए। कहा कि किसी को भी अनावश्यक परेशान न किया जाए। अनुमति लेने के लिए तहसील स्तर पर व्हेटसेएप मोबाइल नंबर का प्रचार प्रसार करें।जिलाधिकारी ने प्रमुख मार्गों पर सीमित संख्या में ढाबों, वर्कशाॅप एवं सर्विस सेंटर खुलवाने के भी निर्देश दिए हैं। कहा कि जहाॅ पर ज्यादा संख्या में ढाबे है वहाॅ पर रोस्टर के अनुसार ढाबे खोलने की अनुमति दी जाए। परन्तु किसी भी रेस्टोरेंट को खोलने की अनुमति नही होगी। उन्होंने कहा कि इलैक्ट्रिशियन, मिस्त्री, प्लंबर, मैकेनिक इत्यादि व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी एसडीएम अपने विवेक से अनुमति जारी कर सकते है। बुक विक्रेताओं को भी होम डिलीवरी की अनुमति दी जाए। जिलाधिकारी ने कहा कि सभी जरूरतमंद लोगों तक खाद्यान्न पहुॅचे यह सुनिश्चित किया जाए। कहा कि बहुत गरीब लोगों को दुबारा भी राशन किट दिया जा सकता है। उन्होंने एसडीएम को राशन किट वितरण की रेन्डमली जाॅच करने और इसका विवरण भी तैयार रखने को कहा। राज्य खाद्य योजना के पीले कार्ड वाले उपभोक्ताओं को भी तीन महीने तक 5 किलो चावल तथा 2.5 किलो गेंहू मुफ्त में दिया जा रहा है। कही भी कालाबाजारी ना हो इसलिए सस्ते गल्ला दुकानों का भी निरीक्षण कर स्टाॅक की जाॅच करें।जिलाधिकारी ने भारत सरकार द्वारा जारी गाइड लाईन का भी पूरी तरह से अनुपालन भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी हंसादत्त पांडे, अपर जिलाधिकारी एमएस बर्निया, सीएमओ डा0 केके सिंह उपस्थित थे।


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काली शिला की पूजा-अर्चना से मनुष्य को अभीष्ट फल मिलता है - ऊखीमठ से लक्ष्मण नेगी की खास रिपोर्ट : ऊखीमठ - देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरती धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक दृष्टि से साधना के क्षेत्र में अपना सर्वोत्कृष्ट स्थान रखती है, वास्तव में सिद्धि पाने के लिए साधना सदा शान्त, एकान्त और सिद्ध स्थलों में ही लाभप्रद होती है। वेदव्यास की चिन्तन भूमि, पाण्डवों का स्वर्गारोहण, उद्वव की तपस्थली, राजा भगीरथ की साधना स्थली, आदिगुरु शंकराचार्य को प्रेरणा देने वाली और महाकवि कालिदास को जन्म देकर विश्व विख्यात बनाने वाली यह हिमालय की पावन धरती है, इसलिए हिमालय के उत्तराखण्ड को तपस्या के लिए सभी तपस्वियों ने चयन किया है। देवभूमि उत्तराखंड वास्तव में ऐसी मुख्य रमणीक देव स्थली है जहाँ कनखल सती कुण्ड से लेकर 12 हजार फीट के उतंग शिखरों पर शक्तिदात्री माँ के अनेक सिद्धपीठ विधमान हैं। यदि मानव के ह्दय में इन सिद्धपीठों के प्रति विश्वासमयी भावना हो तो जगत जननी माँ के दर्शन किसी न किसी रुप में किये जा सकते हैं। इसलिए शक्ति की साधना को ही समस्त कार्यो की सिद्धि माना जाता है! माँ जगत जननी की महिमा का वर्णन ऋषि मुनियों ने भी बड़ी गहनता से किया है तथा सर्व शक्तिमान देवताओं को भी सदा ही अपनी विपदाओं के निवारणार्थ इसी आध्या शक्ति की ही उपासना करनी पडी है।परम पिता भगवान शंकर व जगत जननी मोक्षदायिनी माँ भवानी की इस तपोभूमि उत्तराखंड के कण - कण में अवस्थित देवी के शक्तिपुजो में जो मानव अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है वह व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोग कर अन्त में मोक्ष को प्राप्त कर युगों तक शिवलोक में पूजनीय होता है। केदार घाटी के अन्तर्गत सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोस दूर विशाल पर्वत पर विराजमान भगवती काली का तीर्थ काली शिला नाम से विश्व विख्यात है। इस तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला है तथा विशाल शिला पर 64 यंत्र विधमान हैं, भगवती काली शिला की पूजा करने से अखिल कामनाओं व अर्थों की पूर्ति होती है। काली शिला तीर्थ मधु गंगा व सरस्वती नदियों के मध्य विशाल पर्वत पर है! भगवती काली शिला मदमहेश्वर घाटी व कालीमठ घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी मानी जाती है! मदमहेश्वर घाटी के राऊलैक तथा कालीमठ घाटी के ब्यूखी गाँव से पैदल मार्गों से सिद्धपीठ काली शिला पहुंचा जा सकता है। इस तीर्थ में भगवती काली के मन्दिर की पूजाये देव स्थानम् बोर्ड तथा विशाल शिला की पूजा स्थानीय हक - हकूकधारियों द्वारा की जाती है।भगवती काली शिला की महिमा का वर्णन क्रूम पुराण के अध्याय 56 के श्लोक संख्या चार में शिलातले मदं न्यस्त नास्तिकानां शब्दों में किया गया है जबकि महाकवि कालिदास ने भी काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन गहनता से किया है। स्कन्ध पुराण के केदारखण्ड के अध्याय 89 के श्लोक संख्या 40 से 49 में काली शिला तीर्थ की महिमा का वर्णन विस्तार से किया गया है, केदारखण्ड में कहा गया है कि सिद्धपीठ कालीमठ के पूर्व भाग में दो कोश दूर पर्वत पर रणमण्डना नाम से महादेवी हैं! वहाँ जाने पर मनुष्य स्वस्थ देवीलोक को प्राप्त करता है। शरद व बसन्त ऋतुओं के नवरात्रों में जो मनुष्य भक्ति पूर्वक भगवती काली को नैवैध चढा़ता है वह देव लोक में युगों तक पूजनीय होता है तथा वह घुंघरूओं के समूह की माला से युक्त उत्तम विमान पर सवार होकर चारों ओर अप्सराओं के समूह, गन्धवों,सिद्धों और किन्नरो से शोभायमान हो सूर्य मण्डल का भेद करके मुनिवरो के अभीष्ट एवं दु:ख रहित ब्रह्मलोक को जाता है। यह तीर्थ समस्त पापों का शमन करने वाला और सकल उपद्रवों का नाश करने वाला है! नित्य दान करने वाले मनुष्यों को यह तीर्थ ऐश्वर्य देने वाला है! इस पर्वत पर महाकाली ने आकाश में उछलकर अत्यन्त दृढ़ हाथों से पृथिवी को ताडित किया था।आज भी वहाँ हाथों का अत्यन्त निर्मल चिह्न दिखाई देते हैं , तपस्या की सिद्धि देने वाला यही उत्तम स्थान है, इस पर्वत पर सिद्ध, गन्धर्व और किन्नर देवी के साथ सुखपूर्वक विचरण करते है।भगवती काली का पावन तीर्थ काली शिला की पूजा - अर्चना करने से मनुष्य को पुत्र पौत्रादि की प्राप्ति व यश वृद्धि का अभीष्ट फल मिलता है! इस तीर्थ में दशकों से बाबा बरखा गिरी। मुक्तेश्वर गिरी व जर्मनी निवासी सरस्वती माई भगवती काली की भक्ति में तत्लीन है! शिक्षाविद देवानन्द गैरोला,चन्द सिंह नेगी इं0कृष्ण कुमार सिंह बिष्ट अनिल जिरवाण,धीर सिंह नेगी विनोद नेगी साध्वी सरस्वती बताते है कि इस तीर्थ में एक रात्रि निवास करने से मनुष्य को परम आनन्द की अनुभूति होती है! हरेन्द्र खोयाल,शिव सिंह रावत,रवींद्र भट्ट. दलीप रावत, मदन भटट् रणजीत रावत का कहना है कि काली शिला तीर्थ में भगवती काली की विशाल शिला की परिक्रमा का विशेष महत्व माना गया है।
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